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धनतेरस का उत्सव: संपत्ति और समृद्धि का पर्व

धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है, पांच दिवसीय दिवाली महोत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। इसे दुनिया भर में करोड़ों हिंदू बड़े भक्तिभाव और उत्साह के साथ मनाते हैं। धनतेरस हिंदू माह कार्तिक की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है और इसका महत्व धन्वंतरि, आयुर्वेद और चिकित्सा के देवता, तथा समृद्धि और वैभव की प्रतीक देवी लक्ष्मी की पूजा में निहित है।

इस शुभ दिन पर, पूरे भारत में परिवार अपने घरों की सफाई करते हैं, दरवाजों को सुंदर रंगोलियों से सजाते हैं, दीप जलाते हैं और सोना, चांदी या नए बर्तन खरीदते हैं, यह विश्वास करते हुए कि ये कार्य उनके जीवन में समृद्धि आमंत्रित करते हैं। यह पर्व बुराई पर अच्छाई, रोग पर स्वास्थ्य और अभाव पर समृद्धि की विजय का प्रतीक है।



धनतेरस की पौराणिक कथा

धनतेरस से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा राजा हिम के पुत्र की है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भविष्यवाणी की गई थी कि विवाह के चौथे दिन युवा राजकुमार की मृत्यु सांप के काटने से होगी। इस अनिष्ट को टालने के लिए उसकी पत्नी ने घर में चारों ओर दीप जलाए, दरवाजे के पास सोने-चांदी के ढेर रखे और पूरी रात गीत गाकर और कहानियां सुनाकर अपने पति को जगाए रखा। जब यमराज सर्प रूप में वहां पहुंचे, तो दीपों की चमक और सोने-चांदी की चमक-दमक से वे चकाचौंध हो गए और मोहित होकर लौट गए, जिससे राजकुमार का जीवन बच गया। इसी कारण धनतेरस को बुरी शक्तियों और दुर्भाग्य से रक्षा करने वाला पर्व माना जाता है।


धनतेरस के अनुष्ठान

धनतेरस का दिन घर की सफाई और सजावट से शुरू होता है, क्योंकि यह माना जाता है कि स्वच्छ और प्रकाशमान घरों में देवी लक्ष्मी का आगमन होता है। इस दिन विशेष रूप से धन्वंतरि भगवान की आराधना अच्छे स्वास्थ्य के लिए और देवी लक्ष्मी की पूजा धन और सफलता के लिए की जाती है। परिवार के सदस्य तेल के दीप जलाते हैं और उन्हें घर के हर कोने में रखते हैं ताकि अंधकार दूर हो और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो।

धनतेरस का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान बहुमूल्य धातुओं जैसे सोना, चांदी, या पीतल के बर्तन खरीदना है। यह परंपरा पूरे वर्ष सौभाग्य और आर्थिक स्थिरता लाने वाली मानी जाती है। कई घरों में इस अवसर पर मिठाइयाँ और व्यंजन बनाए जाते हैं, जिन्हें परिवार, मित्रों और पड़ोसियों के साथ साझा कर आनंद और सौहार्द बढ़ाया जाता है।

अपने घर में समृद्धि का स्वागत करें

धनतेरस केवल भौतिक समृद्धि का पर्व नहीं है, बल्कि यह अच्छे स्वास्थ्य, खुशहाली और जीवन में संतुलन को बढ़ावा देने का भी प्रतीक है। इस पावन पर्व को मनाते समय सच्ची समृद्धि को याद रखें, जो परिवार, स्वास्थ्य और आंतरिक शांति से प्राप्त होती है।

आप और आपके परिवार को शुभ व समृद्ध धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ। देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की कृपा से आपके घर में सुख, शांति और सफलता बनी रहे।

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